Education & Career

                    “शिक्षा के बिना जीवन पशु सामान है” केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो शिक्षा लेने के लिए पाठशालाएं बनाता है। वरना, सारे पशु-पक्षी तो अपने जन्मजात गुणों से सीखते हैं। आज के समय में शिक्षा मतलब बड़ी-बड़ी डिग्रियां हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आजकल आजीविका पाने के लिए बड़ी चुनौती और  प्रतिस्पर्धा है। यहाँ आजीविका का मतलब सीधा करियर बनाने से है। और सभी को पता है कि एक अच्छा करियर बनाने के लिए कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं। आज के समय में हर शिक्षित बच्चे ऊँची करियर की इच्छा रखते हैं। ताकि जीवन में रुतबा और पैसा साथ-साथ कमाया जा सके। समाज में भी इसी का बोल-बाला है कि किसने कितनी ऊँची पद हासिल की है या कितना पैसा कमाया है। पैसे और रुतबे के आगे आदमी की सारे अच्छे-बुराई बौने पड़ जाते हैं।    

                      “शिक्षा यदि किसी घटिया प्राणी से भी मिले तो भी लेने में संकोच नहीं करना चाहिए” (महान गुरु आचार्य चाणक्य)। शिक्षा मतलब ‘ज्ञान या सीख,  वह चाहे कहीं से भी मिले हमें सीख  लेना चाहिए। क्योंकि हमारे ज्ञान पर ही हमारा आजीविका निर्भर करता हैं। हम जो भी सीखते हैं उसी को अपने जीवन में लागू भी करते हैं। स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा हमारे शैक्षणिक नींव को मजबूत बनाती है। इस नींव पर ही हम अपने आजीविका की पसंदीदा महल को खड़ी करते हैं। लेकिन ऐसा तो ‘ना’ के बराबर ही होता है कि कोई अपनी  शिक्षा मुताबिक मन-पसंद कैरियर बना पाता है। बहुत से लोग तो अपना कैरियर ही नहीं बना पाते बल्कि जीवन भर कैरियर की तलाश ही करते रह जाते हैं। ज्यादातर लोग कैरियर तो बना लेते हैं, लेकिन ये कैरियर उनके सपनों का कैरियर नहीं होता, और ये लोग ज़िन्दगी भर केवल खर्चा-पानी चलाने के लिए मजबूरी वश अपने आजीविका के इस साधन से चिपके रहते हैं।  ज्यादातर लोग यहीं पर हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               इसके आगे, बहुत से लोगों ने ना केवल बहुत ऊंचीं शिक्षा ग्रहण की, बल्कि बहुत अच्छा कैरियर भी बनाया लेकिन फिर भी खुश नहीं हैं। इनकी भी ज़िन्दगी सारी शिकायत रहती हैं।  कारण- किसी को मन-मुताबिक़ सुख-सुविधा नहीं मिल रही है, किसी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, किसी के सास-ससुर ठीक नहीं हैं तो किसी की बहु अच्छी नहीं है। किसी का पति नशेड़ी तो किसी का बेटा नालायक है। पैसा बहुत है पर कभी पूरा नहीं हुआ। ऐसे लोग बहुत कुछ होते हुए भी अपनी शिकायतों के कारण ज़िन्दगी का मज़ा नहीं ले पाते हैं। अब, इनसे ऊपर कुछ लोग होंगे जिनको बहुत ऊँची शिक्षा मिली हो, उसने बहुत अच्छा करियर बनाया हो और बहुत खुश होकर जिंदगी गुजार रहें हों, पर ऐसा सुनने को बहुत कम ही मिलेंगे।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                     हम बात कर रहे थे शिक्षा और आजीविका की। मान लें की हमने बहुत ऊँची शिक्षा हासिल कर ली है जिसकी बदौलत एक सम्मानजनक आजीविका मिली है, पैसा मिला है, सुख-सुवधाएं मिली है। लेकिन अहम के कारण अगर हम आपस में या ज़िन्दगी के बीच मतभेद पैदा कर लिए हैं, तो ऐसी ऊँची शिक्षा किस काम की …..?  इसलिए शिक्षा और कैरियर दोनों ही उचित होना चाहिए।

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