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Health $ Fitness

“Health is Wealth” स्वास्थ्य ही सम्पति है। कठोर परिश्रम का कोई भी विकल्प नहीं है, इसी तरह स्वास्थ्य शरीर और तंदरुस्ती का भी कोई अन्य विकल्प नहीं है। विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार “स्वास्थ्य, पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है,न कि केवल रोग, दुर्बलता का ना होना, दैनिक जीवन के लिए एक संसाधन, जीवन जीने का उद्देश्य नहीं। स्वास्थ्य, सामाजिक और व्यक्तिगत संसाधनों के साथ-साथ शारीरिक क्षमताओं पर जोर देने वाली एक अवधारणा है।” स्वास्थ्य के प्रमुखतः दो रूप हैं। 1. शारीरिक और 2.मानसिक। इसके अलावा आध्यात्मिक, सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य भी ज़िन्दगी के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य इश्यूज हैं। स्वास्थ्य मामलों का सीधा सम्बंध हमारे आर्थिक स्तिथियों से भी है। हम दुनिया की बहुत सारी सुख़ सुविधाएँ खरीद सकते हैं, खाने-पीने का सामान ख़रीद सकते हैं। लेकिन क्या फ़ायदा अगर हम अस्वस्थ्यता के करण इनका उपभोग ना कर सकें। सांसारिक सुख सुविधाओं उपयोग करना है तो शरीर का स्वास्थ्य रहना जरुरी है। आज के लोग आराम-तलब वाली जिंदगी जीने के आदि हो रहे हैं। शरीरिक श्रम करने से कतरा रहे हैं। दिन और रात की सोने और जागने वाली रूटीन अब नहीं रही। जिससे शरीर को अपने नियमित दिनचर्य को समायोजित करने में गड़बड़ियां पैदा हो रही हैं। प्रकृति विरुद्ध जीवनशैली और स्वास्थ्य के विपरीत खान-पान ने स्वास्थ्य मानव जीवन का गला घोंट कर रख दिया है। मनुष्य अब भी अपने ख़ुद के स्वास्थ्य के अलावा गलत खान-पान और आरामतलब की आदतें बच्चों में डाल कर अपने आने वाली पीढ़ियों तक के लिए भी अस्वस्थ्यता का गड्ढा खोद रहा है। एक स्वास्थ्य और तंदरुस्त व्यक्ति अपना पूरा जीवन सुखी होकर जीने के लिए सक्षम बन जाता है। हमेशा स्वास्थ्य और तंदरुस्त रहने के लिए हमें चाहिए की हम अपनी उम्र के हिसाब से स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी आवश्यक और उचित जानकारियों से समय के साथ अपने आपको update रखें। उचित खान- पान, रहन- सहन और एक नियमित दिनचर्य का पालन करके हमेशा स्वास्थ्य और तंदरुस्त रहा जा सकता है। तंदरुस्ती को हम अपने एनर्जी लेबल, अच्छी नींद या नींद ना आना, पाचन प्रक्रिया, स्फूर्ति चंचलता आदि चीज़ों से जोड़ सकते हैं, जो हमारे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को प्रभावित करतीं हैं। इसीलिए, स्वास्थ्य और तंदरुस्ती के प्रति हमेशा सज़ग रहें। हमेशा क्रियाशील रहें। उम्र के मुताबिक़ खेल-कूद, कसरत,योग और मनोरंजन में शामिल रहें। केवल ज़रुरत भर ही आराम करें। आलस बिलकुल भी ना करें। अपने दिनचर्या को नियमित रखने की कोशिश करें। नशा बिलकुल ना करें। जंक फ़ूड, फ़ैशन फ़ूड से हमेशा सौ गज़ दूर रहें। फ़ल,जूस और देशी खाना मिल्लेट्स वग़ैरह खाएं और समय पर खाएं। हमेशा अपने से श्रेष्ट, उत्तम और सकारात्मक व्यक्तित्व वालों के संपर्क में रहें। स्वास्थ्य और तंदरुस्ती सम्बन्धी जानकारी वाली लेख, किताबें, contents, वीडियोस आदि से जुड़े रहें। स्वस्थ रहें, मस्त रहें, तंदरुस्त रहें और आबाद रहें।

Wealth

आज के समय में सम्पति पहचान और रुतबे के लिए एक पैमाना है। ‘धन,सम्पति या पैसा ’ जिसे हम आम तौर पर मुद्रा (Currency) समझते हैं। कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है "कोई वस्तु या सत्यापन योग्य रिकार्ड्स है जिसे आम तौर पर किसी विशेष देश या सामाजिक-आर्थिक सन्दर्भ में वस्तुओं और सेवाओं के भुगतान और करों जैसे ऋणों के पुनर्भुगतान के रूप में स्वीकार किया जाता है।" ये तो हुई अर्थशास्त्र वाली परिभाषा जो हमारे स्तर से ऊपर हो जाता है। हम लोगों ने अपने स्तर पर कभी ये डायलॉग तो सुना ही होगा- “पैसा खुदा तो नहीं, पर खुदा की कसम, खुदा से कम भी नहीं।” यक़ीनन, पैसा खुदा तो नहीं हो सकता। लेकिन वो कहते हैं ना, कि खुदा हर जग़ह मौज़ूद है। ऐसा ही आजकल जहाँ जाओ वहाँ पैसा होना मांगता है। पैसा जीने के लिए उतना जरुरी नहीं है जितना सम्मान पूर्वक जीने, स्टेटस मेंटेन करने, हॉस्पिटल जाने और तो और दिखावा करने के लिए है। आज पैसा शोऑफ के लिए बहुत ज़रूरी हो गया है। जीवन जीने के लिए ज़रूरी वस्तुओँ और सेवाओं को प्राप्त करने के लिए पैसा एक माध्यम है। समृद्ध, सुख़ सुविधा और विलासिता पूर्ण जीवन जीने के लिए पैसा प्रथम श्रोत है। समय के साथ दिखावा करने का प्रचलन बढ़ा है, इसके लिए लोग किसी भी हद तक जाकर ख़रीददारी/ख़र्च करने के लिए तैयार रहते हैं। आप पैसे से केवल वो सबकुछ नहीं खरीद सकते हैं जो ज़िन्दगी की बुनियादी जरूरतें हैं, बल्कि वो सबकुछ भी खरीद सकते जिसकी बहुत ज़्यादा जरूरत नहीं है, लेकिन सामाज को दिखाने के लिए बहुत जरुरी है। हालाँकि प्यार पाने या देखभाल के मायने में यह पूरी तरह से सही नहीं है। आजकल लोगों में पैसे कमाने का धुन (और होना भी चाहिए) इस कदर सवार हुआ है कि बाकि सबकुछ गौण हो गया है। दुनिया डिजिटल हो गया है। इसलिए पैसे कमाने का तरीका भी डिजिटल हो गया है। पारम्परिक रूप से पैसा कमाने के अलावा आज डिजिटल दुनिया से ऑनलाइन पैसा कमाने की होड़ सी लगी हुई है। सिर्फ़ पैसे कमाने भर की नहीं बल्कि पैसे बचाने, ख़र्च करने और इन्वेस्ट करने के तौर-तरीकों में भी हम बहुत आगे निकल गए हैं।आज जो पैसे कमाने उसे बचाने, खर्च करने और निवेश करने के तौर-तरीकों को सीखकर मेहनत करके मास्टर बना, ओ अरबपति खरबपति बन गया है। जो नहीं सीख़ पाया (या कहें सीखना ही नहीं चाहता ) वो अभी भी हाड़तोड़ मेहनत करके भी केवल ज़िन्दगी गुजारने लायक ही कमा पाया है। हमें उन सफल पैसेवालों की नक़ल करनी चाहिए और उनसे सीखनी चाहिए कि पैसे कहाँ से और कैसे कमाई जाती है, कैसे बचाई जाती है, ख़र्च की जाती है, कहाँ रखी जाती है या इन्वेस्ट की जाती है। हमने कुछ सीखा नहीं इसलिए पैसे कमाने की दौड़ में बहुत पीछे रह गए हैं। चलिए पैसा कमाने के गुरुमंत्र को, technics, strategies को जानें और सीख़ें। कोई भी व्यक्ति हजार कदम चलने की शुरुआत पहले कदम से ही करता है।

Mind Corner

“मन के हारे हार है मन के जीते जीत” अर्थात हम जिस तरह की विचार धारा को धारण करते हैं हमारा जीवन भी उसी के अनुरूप ढल जाता है। मस्तिष्क हमारे शरीर का ही नहीं बल्कि हमारे समस्त जीवन प्रक्रिया का कंट्रोल रूम है। हमारे जीवन की जितनी भी प्रक्रियाओं का सञ्चालन होता है वो मस्तिष्क से ही होता है। मनुष्य का जीवन उसके समस्त विचारधाराओं का ही योगफ़ल है। हमारा मन दो तरीकों से सोचता है। मन या तो नकारात्मक सोचता है या तो सकारात्मक। मन में उत्पन्न ये दो विचार ही हमारे जीवन को या तो सफल बना देते हैं या फिर असफल। यदि आप अपने जीवन और काम के प्रति सकारात्मक नज़रिया रखते हैं और लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं, तो जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का ना सिर्फ़ आसानी से सामना कर पाएंगे बल्कि सभी समस्याओं को आप जीत भी जायेंगे। अर्थात जीवन में सफल हो जायेंगे। लेकिन यदि आपने मन में नकारात्मक नज़रिया को जगह दे दिया तो समझो जिन्दगी का बेड़ा गर्क होना तय है। ग्रोथ माइंडसेट एक ऐसा मन:स्तिथि है जो हमारे सकारात्मक सोच को परिलक्षित करता है, इसी सोच का सकारात्मक नज़रिया हमें दूसरों से अलग बनाता है। हमें दूसरे लोगों के जीवनशैली का अंधाधुंध नक़ल नहीं करना चाहिए बल्कि उनकी जीवनशैली से उनके माइंडसेट को परख़ना चाहिए। हमें लोगों के विचारधाराओं से केवल उनके सकारात्मक पहलु को अपनाना चाहिए और नकारात्मक पहलु को इग्नोर कर देना चाहिए। नकारात्मक नज़रिया यानि मन से हार मान लेना। हम किसी के जीवनशैली या उनके विचारधाराओं को जबरजस्ती तो नहीं बदल सकते इसलिए अच्छा है कि अपने को ही साइडलाइन कर दें। दूसरों की सकारात्मकता और नकारात्मकता को अपने विवेक रूपी छननी से छान लेना चाहिए। अर्ल नाइटिंगल ने कहा था कि “मनुष्य अपने समस्त सोच का ही औसत होता है।” यानि हम जैसा सोचते है हमारा जीवन भी उसी सोच के अनुरूप ढल जाता है। मन (इरादा) नकारात्मक होने से हम ख़ुद तो नेगेटिव होते ही हैं, हम औरों में भी हमेशा नेगेटिविटी ही ढूंढते हैं। ऐसा करने से हम अपने साथ समाज में भी नेगेटिविटी का ज़हर फैलाने के दोषी होते हैं। लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ़ हम ही दोषी होते हैं बल्कि, हमारे चारों तरफ़ यानि ज्यादातर पड़ोसी भी ऐसे लोग होते हैं। इसलिए अपने पड़ोसियों के साथ भी देख-परख़ कर दोस्ती करनी चाहिए। हमारी आदत होती है कि हम बिना सोचे समझे ही पड़ोसियों की नक़ल करने लग जाते हैं। ये नहीं सोचते कि पड़ोसी सही कर रहा है या ग़लत। इसलिए हमेशा सकारात्मक सोच के साथ निर्णय लें। मन को मज़बूत बनायें। इरादा पक्का रखें। और जो भी करें अच्छा करें और नेक इरादे से करें। वैसे तो सीखने की कोई उम्र नहीं होती। फिर भी अपने अर्ली एज में ही ज़्यादा से ज़्यादा जानकारियाँ हासिल कर लें बेहतर से बेहतर स्किल्स सीख़ लें। आज ही शुरू करें, डॉंट माइंड कि “पता नहीं लोग क्या सोचेंगे या क्या कहेंगे।” बस याद रखें “मन के जीते जीत है..........

Education & Career

“शिक्षा के बिना जीवन पशु सामान है” केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो शिक्षा लेने के लिए पाठशालायें बनाता है। वरना, सारे पशु-पक्षी तो अपने जन्मजात गुणों से सीखते हैं। आज के समय में शिक्षा मतलब बड़ी-बड़ी डिग्रियां हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योकिं आजकल आजीविका पाने के लिए बड़ी चुनौती और प्रतिस्पर्धा है। यहाँ आजीविका का मतलब सीधा करियर बनाने से है। और सभी को पता है कि एक अच्छा करियर बनाने के लिए कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं। आज के समय में हर शिक्षित बच्चे ऊँची करियर की इच्छा रखते हैं। ताकि जीवन में रुतबा और पैसा साथ-साथ कमाया जा सके। समाज में भी इसी का बोलबाला है कि किसने कितनी ऊँची पद हासिल की है या कितना पैसा कमाया है। पैसे और रुतबे के आगे आदमी की सारे अच्छे-बुराई बौने पड़ जाते हैं। “शिक्षा यदि किसी घटिया प्राणी से भी मिले तो भी लेने में संकोच नहीं करना चाहिए” (महान गुरु आचार्य चाणक्य)। शिक्षा मतलब ‘ज्ञान या सीख़’, वो चाहे कहीं से भी मिले हमें सीख़ लेना चाहिए। क्योंकि हमारे ज्ञान पर ही हमारा आजीविका निर्भर करता हैं। हम जो भी सीखते हैं उसी को अपने जीवन में लागु भी करते हैं। स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा हमारे शैक्षणिक नींव को मजबूत बनाती है। इस नींव पर ही हम अपने आजीविका की पसंदीदा महल को खड़ी करते हैं। लेकिन ऐसा तो ‘ना’ के बराबर ही होता है कि कोई अपनी शिक्षा मुताबिक मन-पसंद कैरियर बना पाता है। बहुत से लोग तो अपना कैरियर ही नहीं बना पाते बल्कि जीवन भर कैरियर की तलाश ही करते रह जाते हैं। ज्यादातर लोग कैरियर तो बना लेते हैं, लेकिन ये कैरियर उनके सपनों का कैरियर नहीं होता, और ये लोग ज़िन्दगी भर केवल खर्चा-पानी चलाने के लिए मज़बूरीवश अपने आजीविका के इस साधन से चिपके रहते हैं। ज्यादातर लोग यहीं पर हैं। इसके आगे, बहुत से लोगों ने ना केवल बहुत ऊंचीं शिक्षा ग्रहण की, बल्कि बहुत अच्छा कैरियर भी बनाया लेकिन फिर भी खुश नहीं हैं। इनकी भी ज़िन्दगी सारी शिकायत रहती हैं। कारण- किसी को मन-मुताबिक़ सुख-सुविधा नहीं मिल रही है, किसी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, किसी के सास-ससुर ठीक नहीं हैं तो किसी की बहु अच्छी नहीं है। किसी का पति नशेड़ी तो किसी का बेटा नालायक है। पैसा बहुत है पर कभी पूरा नहीं हुआ। ऐसे लोग बहुत कुछ होते हुए भी अपनी शिकायतों के कारण ज़िन्दगी का मज़ा नहीं ले पाते हैं। अब, इनसे ऊपर कुछ लोग होंगे जिनको बहुत ऊँची शिक्षा मिली हो, उसने बहुत अच्छा करियर बनाया हो और बहुत खुश होकर जिंदगी गुजार रहें हों, पर ऐसा सुनने को बहुत कम ही मिलेंगे। हम बात कर रहे थे शिक्षा और आजीविका की। मान लें की हमने बहुत ऊँची शिक्षा हासिल कर ली है जिसकी बदौलत एक सम्मानजनक आजीविका मिली है, पैसा मिला है, सुख-सुवधाएं मिली है। लेकिन अहम के कारण अगर हम आपस में या ज़िन्दगी के बीच मतभेद पैदा कर लिए हैं, तो ऐसी ऊँची शिक्षा किस काम की .....? इसलिए शिक्षा और कैरियर दोनों ही उचित होना चाहिए।

Work & Earn

“काम करने का प्रतिफल पैसा है।” काम चाहे कुछ भी हो, जिस काम को करने से पैसा मिलता है वो काम करना चाहिए । गावों में रह कर भी हम बहुत सारा काम कर सकते हैं, क्योंकि आजकल गांव में वो सब सुविधाएँ उपलब्ध हो चुकी हैं जो शहरों में है। जैसे कि ट्रांसपोर्ट के लिए अच्छी सड़कें गावों तक बन चुकी हैं, मोबाइल गांव में रहने वाले हर इंसान के हाथों तक पहुँच चुकी है, इससे संचार सुविधा बेहतर हुई है। गावों से शहरों तक का संपर्क बहुत बढ़िया हो चूका है। हमें कोई भी काम जिसमें हमारी रूचि है वो काम जल्दी ही शुरू कर देना चाहिए ताकि हम उम्र के अर्ली पड़ाव में ही अपनी कमाई करना शुरू कर सकें। काम तो हम किसी भी उम्र में कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए बहुत ज़रूरी है जो बच्चे पढ़ने में अच्छे हैं, लेकिन माता-पिता की आय कम होने के कारण पढ़ाई का ख़र्च नहीं उठा पाते हैं। ऐसे में हम खुद ही कोई काम करके अपना ख़र्च निकाल सकते हैं। गावों में रहकर खेती-किसानी का काम, मेहनत-मज़दूरी का काम, कौशल वाला काम जैसे- राजमिस्त्री का काम,पशुपालन का काम, बढ़ाई का काम, सिलाई-कढ़ाई, सब्जी उत्पादन, डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग, हर्बल खेती, मिलेट्स की खेती, लेबर कॉन्ट्रैक्टर, चाय दुकान, आचार उत्पादन, मशरूम की खेती और ऐसे ही बहुत सारे काम जिससे हमें ठीक-ठाक पैसा मिल जाता हो, अपनी रूचि और योग्यता के हिसाब से काम कर लेना चाहिए। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता केवल काम के प्रति हमारा नजरिया छोटा-बड़ा होता है। अच्छे कामों की कोई ग्रेडिंग नहीं हैं। हाँ,काम ग़लत नहीं होना चाहिए। मेहनत और ईमानदारी से काम करके धन कमाना, केवल यही बड़ी बात है। एक बहुत जरुरी बात- कि जिस काम में भी व्यक्तिगत रूचि है उस काम की बारीकियों को सीख़ें, बल्कि मैं तो कहता हूँ कि उस काम का मास्टर बन जाएं। फिर तो उस काम से पैसा कमाना आसान हो जायेगा। आज के समय के हिसाब से काम करने का दूसरा पहलू ये है कि आप ऑनलाइन काम कर करके भी बहुत अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। आजकल गांव के आसपास के कस्बों और शहरों में कंप्यूटर सीखने के सेंटर्स खुल गए हैं। वहां से ऑनलाइन कमाई करने के अपनी रूचि के स्किल्स को सीखा जा सकता है। बस,आपको ज़िद्द पकड़नी होगी और मेहनत से अपनी स्किल्स को सीखना होगा, उसमें मास्टर बनना होगा। बहुत सारे काम जैसे- वेबसाइट बना कर, ब्लॉगिंग करके, फ्रीलांसिंग वर्क करके, रेसेलींग करके, कोर्सेस बनाकर, एफिलिएट करके, ड्रोप्सिपिंग करके, इन्फ्लुएंसर बन कर, ग्राफ़िक डिज़ाइनिंग या और भी कुछ ऑनलाइन काम करके अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। लेकिन इन कामों को करने के लिए अपने स्किल्स को पक्का करने की ज़रूरत पड़ेगी, जिसके लिए आपका इरादा पक्का होना ज़रूरी है। अपनी पसंद और रूचि के अनुसार ऐसे ही किसी ऑनलाइन काम को सीखकर fiverr, CPAleads आदि website के जरिये आप अपने लिए काम ढूंढ़ सकते हैं।

Place to shop

जरुरत चाहे किसी भी चीज़ की हो,अगर वो हमारे घर में पैदा नहीं होती है, तो हमें उसे बाहर से खरीदना पड़ता है। प्राचीन काल में वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने के लिए बाजार और मेले स्थापित किये गए थे। ये बाजार-हाट दिन के हिसाब से साप्ताहिक और नियमित होते थे। लोग अपनी जरूरतों के लिए आस-पास के कस्बों से इन्ही नियमित बाजार-हाट में जा कर ख़रीददारी करते थे। तब समय ऐसा था कि किसी अति आवश्यक वस्तु या सेवा की ज़रूरत पड़ने पर भी हमें बाज़ार -हाट के अगले दिन का इंतजार करना पड़ता था। पैसे (मुद्रा) के प्रचलन में न होने के कारण लोगों को अपनी चीज़ों का आपस में अदला-बदली करना पड़ता था। बाद के दिनों में यही चीज़ें दुकानदारी में बदल गयीं। जो दुकान, मॉल, सुपर बाज़ार, सुपर मार्किट आदि के शक्ल लेकर आया और लोग यहीं से अपनी ज़रुरत की सामानों की ख़रीददारी करने लगे। लेकिन, अब जमाना इससे भी आगे निकल गया है। अब हमें अपने किसी भी जरुरी वस्तुओं या सेवाओं के लिए कहीं भी जाने की ज़रुरत नहीं पड़ती। बल्कि ये सुविधाएँ हमारे घर तक खुद ही पहुंच जाती हैं। मैं बात कर रहा हूँ ऑनलाइन शॉपिंग की। ऑनलाइन शॉपिंग- एक प्रकार से ईकॉमर्स व्यवसाय है। जहाँ उपभोक्ता इंटरनेट के माध्यम से अपने पसंदीदा सामान को सीधे विक्रेता से खरीद सकते हैं। आप अपनी पसंद की वस्तु या सेवा के बारे में घर बैठे पता कर सकते हैं कि आपकी पसंदीदा वस्तु कहाँ पर मिलती है, उसका उत्पादक कौन है, उसका विक्रेता कौन है, कितना बड़ा-छोटा, रंग, कीमत और वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं। ऑनलाइन स्टोर में उत्पादों की रेंज भौतिक स्टोर की तुलना में बहुत व्यापक होती है। यहाँ उत्पादों की भरमार होने के बाउजूद भण्डारण जैसी कोई समस्या नहीं रहती है। ऑनलाइन शॉपिंग में राशन पानी से लेकर किराना सामान, कपड़ें, दवाई, इलेक्ट्रॉनिक, सामान, गाड़ी का सामान, मतलब ज़रुरत का लगभग सभी सामान मिल जाता है। आप अपनी पसंद के सामान को फुरसत से छाँट सकते हैं, समय की पाबन्दी बिलकुल नहीं है। इससे महत्वपूर्ण बात ये है कि जिन उपभोक्ताओं ने किसी सामान का उपयोग कर लिया तो वे उस सामान विशेष के बारे में अपनी समीक्षाएं शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर डाल देते हैं, जिससे सामान के बारे में वास्तविकता खरीदने से पहले ही पता चल जाता है। वास्तव में ऑनलाइन खरीददारी बहुत ज्यादा फायदेमंद है। सबसे बड़ी बात की यह है कि ये सेवा 24x7 उपलब्ध रहती है। ऑनलाइन खरीददारी से आप भीड़-भाड़ वाली जग़ह पर जाने से बचते हैं। दुकानों को ढूढ़ना नहीं पड़ता और खरीददारी करने के लिए या बिलिंग और चेक आउट करने के लिए लम्बी-लम्बी लाइन लगने से बचते हैं। आप बड़े-बड़े प्लेटफॉर्म पर जाकर अपने पसंदीदा सामान को घर बैठे खोज सकते हैं। इसलिए, जब हमारे पास सुविधाएँ हैं तो जो भी सामान खरीदना है उसके बारे में अलग-अलग websites पर जा कर अच्छी तरह से जानकारी हासिल कर लेना चाहिए।

Why Digitalrahi ?

Focus

“Focus” लक्ष्य से भटकने से बचने का उत्तम कारक है। Digitalrahi पर जीवनदर्शन के उन पहलूओं के बारे में चर्चा की जाएगी जिसका मनुष्य के जीवन से सीधा पाला पड़ता है। तथा जो जीवन को संस्कारी बनाने के अलावा सुदॄढ़ इच्छाशक्ति के साथ जीवन की वास्तविक परिस्तिथियाँ स्वास्थ्य, शिक्षा, कैरियर और आमदनी पर केंद्रित होगा।

Team

किसी भी बड़े लक्ष्य को जीतना है तो एक मज़बूत टीम का होना ज़रूरी है। “Digitalrahi” का लक्ष्य ज़िन्दगी संवारने के लिए एक मज़बूत Team तैयार करना है। और Teamwork द्वारा हर किसी कमजोर साथी को Team के अन्य साथियों द्वारा सहारा दे कर अपने जीत में बराबरी का भागीदार बनाना है। यहाँ हर किसी को जीतना है, हारना किसी को नहीं ।

In Time

कहते हैं “समय बलवान होता है।” ‘Digitalrahi’ हर काम समय पर शुरू करने और समय पर पूरा करने के ध्येय के साथ काम करता है। कोई भी काम को करने का शुभ मुहूर्त नहीं होता बल्कि हमारे द्वारा किये गए अच्छे काम मुहूर्त को शुभ बना देते हैं। ईमानदारी और मेहनत यही मुहूर्त हैं। हमारा लक्ष्य कड़ी मेहनत करके समय पर रिजल्ट लाना है।

Results

“काम करते रहें फल की इच्छा न करें” क्योंकि हमारे द्वारा किये गए काम का रिजल्ट मिलना तो तय है। हो सकता है कि कुछ देर हो जाये। फिर भी ‘Digitalrahi’ परिणामोन्मुख काम करने के वादे पर हमेशा खरा उतरने के लिए काम करता है। बेहतर परिणाम उचित समय पर काम करने से मिलता है। हमारा ध्येय हमेशा बेहतर परिणाम हासिल करना है।

For Quotation

Mentorship

 “पैसा ख़ुदा तो नहीं, पर ख़ुदा की कसम, ख़ुदा से कम भी नहीं।” यक़ीनन पैसा खुदा तो नहीं हो सकता। लेकिन आज के समय में पैसा एक तराज़ू जरूर है, जिससे एक इंसान की औक़ात, अहमियत, और स्टेटस को नापा जाता है। इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि आपने पैसा कैसे कमाया है। गैंगस्टर, बाहुबली, नेता ऐसे शब्द सुनते ही अमूमन मन में एक दबंग पैसे वाले की छबि उभर कर आती है।  करोड़पति, अरबपति, खरबपति, बिज़नेस, कॉर्पोरेट ऐसे शब्द सुनने से भी मन में अमीरों की ही छबि मन में उभरती है। और इन्ही पैसों वालों की Lifestyle  पर दुनिया लट्टू है। ज्यादातर समय यार-दोस्त, सगे-सम्बन्धी, चमचे-बेलचे यहाँ तक की परिवार वाले भी इसी चुम्बक के कारण आपसे चिपके रहते हैं। पैसों की चकाचौंध के आगे आपका स्वास्थ्य और शुकुन भी बौनी हो जाती है। यहाँ हम भूल जाते हैं कि स्वास्थ्य और शुकुन  ही है जो पैसों से ज़्यादा ज़रूरी है।                                                                                                                                                                                                          साथियों ,नमस्ते ! मैं  हूँ विजय बेक।  “Digitalrahi” में आपका हमराही। दोस्तों, आपने भी महसूस किया होगा कि जो भी इंसान ज़िन्दगी में बहुत आगे तक गया है, वो अपनी ज़िद्द (Stubbornness) (यहाँ हम बुरे ज़िद्द/रास्ते की बात नहीं करेंगे) के कारण गया है। ज़िद्द सब कुछ जानने की और ज़िद्द बहुत कुछ सीखने की। इसी ज़िद्द के कारण ही अमीर और ज़्यादा अमीर होता जा रहा है। हमने ज़िद्द नहीं की और ज़िन्दगी की रेस में बहुत पीछे रह गए हैं। आगे आना है तो हमें भी ज़िद्द करनी होगी, पैसे कमाने की। हर वो स्किल्स की जानकारी लेनी होगी और उसे सीखना होगा जो जीवन में Value add करती है। तो चलिए, “Digitalrahi” में  ये गुर सीख़ कर Master बनें, और जीवन को बदल दें।                         

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