स्वस्थ रहने के मंत्र
जीवन में स्वस्थ रह कर ही इसका आनंद उठाया जा सकता है। बीमार रहने से जीवन नारकीय हो जाता है। स्वस्थ रहना या बीमार रहना बहुत हद तक मनुष्य के खुद के ऊपर निर्भर करता है। उसकी मानसिकता, इच्छाशक्ति, सक्रियता और जीवनशैली में ही स्वास्थ्य रहने का मंत्र है। नसीब में अस्वस्थ या बीमार रहना ही लिखा हो तो बात अलग है। फिर तो कोई नहीं टाल सकता, झेलना ही पड़ेगा। लेकिन जब अपने आप को स्वस्थ रखने का मंत्र हमारे हाथ में है, तो क्यों न अपने आप को स्वस्थ और तंदरुस्त रखने की सारी कोशिशें की जाये। वैसे भी जब जिंदगी एक ही बार मिली है तो क्यों न सारी जिंदगी स्वस्थ रह कर इसका मजा लेने का प्रयास किया जाये।
स्वस्थ रहने का मंत्र एक सामान्य चेतना मात्र से जान सकते हैं। स्वस्थ रहने के बहुत सारे मंत्र हमें मालूम है, लेकिन हम अपने ही स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं रहते हैं। बल्कि स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतते हैं। अगर हम स्वस्थ रहने के इन मन्त्रों की थोड़ी जानकारी रखें और इन मन्त्रों को अपने दैनिक जीवन में शिद्दत से लागु करें तो निश्चित रूप से एक स्वस्थ पूर्ण बेहतर जीवन जी सकते हैं। स्वास्थ्य को बनाये रखना एक संतुलित जीवनशैली और सही आदतों पर निर्भर करता है। हम बात करेंगे ऐसे ही कुछ स्वस्थ रहने के मंत्रो, उसूलों या आदतों के बारे में। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण मंत्र इस प्रकार हैं।
०१. संतुलित आहार 01. Balanced diets
०२. नियमित व्यायाम 02. Regular Exercise
०३. पर्याप्त नींद 03. Enough Sleeping
०४. तनाव प्रबंधन 04. Stress Management
०५. पानी का पर्याप्त सेवन 05. Drink Adequate water
०६. स्वच्छता 06. Cleanliness
०७. शराब और धूम्रपान से बचाव 07. Avoidance of Alcohol & Smoking
०८. नियमित स्वास्थ्य जाँच 08. Regular Health Checkups
०९. सकारात्मक सम्बन्ध 09. Positive Relationship
१०. प्रकृति के साथ समय बिताएं 10. Spend time with Nature
१. संतुलित आहार:
स्वस्थ रहने के मन्त्रों में पहला है संतुलित आहार। संतुलित आहार से मतलब है कि हमारे भोजन में उन सभी पोषक तत्वों का उस पर्याप्त मात्रा में होना जिस मात्रा में हमारे शरीर को उसकी जरुरत होती है। शरीर को स्वस्थ रखने और सुचारु रूप से कार्य करने के लिए विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। संतुलित आहार एक ऐसा भोजन है जो शरीर को सभी पोषक तत्त्व सही मात्रा में और सही अनुपात में प्रदान करता है। ऐसा होने से न केवल शरीर को ऊर्जा मिलती है बल्कि अच्छा पोषण भी मिलता है। संतुलित आहार ही समग्र स्वास्थ्य को बनाये रखने और बिमारिओं से बचने में भी सहायता करता है। स्वस्थ रहने के मन्त्र संतुलित आहार लेने से शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बॉडी वेट संतुलित रहता है। बिमारियों से बचाव होता है। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का क्रमिक विकास होता है। स्वस्थ रहने के मंत्र के अंतर्गत शरीर के लिए आवश्यक मुख्य पोषक घटक इस प्रकार हैं।
१.१ : कार्बोहाइड्रेड (Corbohydred):
इसके स्श्रोत हैं -चावल, गेहूं, रोटी,आलू,शकरकंद, मक्का आदि।
यह शरीर के लिये आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
१.२ : प्रोटीन (Protein) :
इसके स्श्रोत हैं – दालें, मूंगफली,अंडे, मछली,सोयाबीन
सभी मांसपेशियों, एवं उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण एवं मरम्मत का प्रोटीन का है।
१.३ : वसा (Fats):
इसके स्श्रोत हैं : घी, मक्खन, नारियल तेल, मेवे, बादाम, अखरोट आदि।
वसा ऊर्जा का भंडार है। और यह शरीर तापमान को नियंत्रित करता है।
१.४ : विटामिन और खनिज Vitamins & Minerals):
इसके स्रोत हैं : हरी सब्जियां, फल, दूध, अंडे, मछली, सूखे मेवे।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाता है तथा अन्य अंगों को अच्छी तरह काम करने के लिए प्रेरित करता है।
१.५ : रेशे (Fibers) :
इसके स्रोत हैं : साबुत अनाज, फल, सब्जियां।
शरीर के सबसे महत्वपूर्ण काम पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
१.६ : पानी (Water) :
इसके स्रोत : प्राकृत रूप से उपलब्ध
शरीर को हाइड्रेड रख कर निर्जलीकरण को दूर करता है। बेकार तत्वों & टॉक्सिन्स को बाहर निकलता है।
संतुलित आहार के लिए हम एक दिन का एक आदर्श मेन्यू इस प्रकार बना सकते हैं।
नाश्ता में : दलिया, अंडा, कोई फल, दूध
दोपहर के भोजन में : चपाती, दाल, सब्जी, सलाद, दही
शाम का नाश्ता में : मूंगफली, भुने हुए चने, कोई भी हल्का-फुल्का नाश्ता
रात्रि के भोजन में : चपाती या चावल, सब्जी, सलाद, हल्का सप
सोने से पहले : हल्का गुनगुना दूध।
नोट : हर व्यक्ति की उम्र, लिंग, कार्यशैली, शारीरिक फिटनेस, वजन, हाइट की स्थिति के आधार पर संतुलित आहार की मात्रा भिन्न हो सकती है।
०२. नियमित व्यायाम (Regular Exercise):
नियमित व्यायाम से मतलब शरीर को नियमित रूप से चलायमान रखने से है। स्वस्थ रहने के मन्त्र में शारीरिक गतिविधियों की अहम् भूमिका है। नियमित व्यायाम या फिर किसी भी कारण से जब हम शरीर को गतिशील रखते हैं तो हमारे शरीर में लचीलापन पैदा होता है। शरीर मूवेबल रहता है। क्रियाशील शरीर में रक्त का संचार हमेशा बना रहता है। रक्त के नियमित संचार सर शरीर में स्फूर्ति पैदा होती है। स्फूर्ति पैदा होने से शरीर और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ और सक्रिय बने रहते हैं। नियमित व्यायाम से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधर होता है, बल्कि मानसिक तनाव भी काम होता है। मानसिक तनाव न होने से मन हल्का होता है और समग्र जीवनशैली बेहतर होता चला जाता है। स्वस्थ रहने का मंत्र ही है बेहतर जीवन। और बेहतर जीवन का आधार ही है नियमित व्यायाम। नियमित व्यायाम को हम निम्न प्रकार से बाँट सकते हैं।
२.१ : एरोबिक व्यायाम (Cardio Exercise):
एरोबिक व्यायाम से ह्रदय और फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
दौड़ना, तेज चलना, तैराकी, साइक्लिंग आदि एरोबिक व्यायाम के उदाहरण हैं।
२.२ : स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training):
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से शरीर के मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है। मांसपेशियों में नियमित खिचाव से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और टन करने में मदद मिलती है।
वेट लिफ्टिंग, पुश-अप्स, प्लैंक आदि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के उदहारण हैं
२.३ : फ्लेक्सिबिलिटी व्यायाम (Flexibility Exercise):
शरीर में लचीलापन पैदा करने के लिए फ्लेक्सिबिलिटी व्यायाम करना चाहिए। शरीर लचीला होने से चोट लगने की जोखिम कम हो जाती है।
योग और स्ट्रेचिंग फ्लेक्सिबिलिटी वाले व्यायाम हैं।
२.४ : बैलेंस एक्सरसाइज ( Balance Exercise) :
बैलेंस एक्सरसाइज मूल रूप से वृद्ध जनों के लिए बहुत फायदेमंद है। क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर का संतुलन बिगड़ता है। बैलेंस एक्सरसाइज करने से शरीर के संतुलन को बनाये रखने में सहायता मिलती है।
ताई-ची और बैलेंस बोर्ड अभ्यास बैलेंस एक्सरसाइज के उदहारण हैं।
०३. पर्याप्त नींद (Enough Sleeping):
समय पर सोना और समय पर उठाना शरीर के लिए उतना ही जरुरी है जितना समय पर खाना। स्वस्थ रहने के मंत्र में नींद लेना भी एक मंत्र ही है। नींद से हमारे शरीर की थकान दूर होती है। शरीर को आराम मिलता है। शरीर को आराम मिलने से शरीर अपने अगली कार्यवाही के लिए ऊर्जा इकठ्ठा कर लेती है। पर्याप्त नींद का मतलब है कि आप उतना सो रहे हैं जितना कि शरीर के लिए आवश्यक है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरुरी है। स्वस्थ रहने का मंत्र तो यही है कि आप समय पर सो जाएँ और समय पर जाग जाएँ ताकि आप पर्याप्त नींद ले सकें। क्योंकि पर्याप्त नींद लेने के कई फायदे हैं, जैसे :
३.१ : शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार (Improvement Physical health)
नींद के पूरा होने से शरीर पूण: ऊर्जावान हो जाता है। शरीर की रोग प्ररोधक प्रणाली मजबूत होती है। हृदय स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या दूर होती है। इसके अलावा मधुमेह, मोटापा और उच्च रक्तचाप जैसी बहुत सी बिमारियाँ होने की सम्भावना या जोखिम कम हो जाता है।
३.२ : मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health):
स्वस्थ रहने का मंत्र नींद की गहराई से है। नींद मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता में सुधार करता है। जब हम भावनाओं में बाह जाते हैं तब पर्याप्त नींद ही हमारी भावनाओं को संतुलित रखने में मदद करती है।
३.३ : याददाश्त और सीखने की क्षमता (Memory and learning ability) :
हमारे शरीर में जो भी सूचनाएं आती हैं, नींद के समय सूचनाओं व्यावस्थित करने का काम हमारा मस्तिष्क करता है। जिससे स्मृति मजबूत होती है।
३.४ : ऊर्जा और उत्पादकता (Energy and productivity):
स्वस्थ रहने का मंत्र यही है कि हम नींद गहरी और पर्याप्त मात्रा में लें। इससे हम अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं। एक ऊर्जावान व्यक्ति अन्य लोगों से बेहतर काम करता है।
४. तनाव प्रबंधन (Stress Management):
विकास की अंधी दौड़ में जीवन की गलत रणनीतियों और आदतों के कारण आज की जिंदगी तनावपूर्ण हो गया है। पैसे कमाने और दिखावे की प्रवृति ने मनुष्य का जीवन आरामदायक तो बना दिया है लेकिन इसके साथ दे रहा है मानसिक तनाव। और सिर्फ मानसिक तनाव ही नहीं बल्कि इस मानसिक तनाव के प्रतिफल मिल रहा है, ढेर सारी बीमारियां। स्वस्थ रहने के मंत्र आदमी भूलता जा रहा है,और जी रहा है बेहद तनाव पूर्ण जीवन। अनियंत्रित तनाव न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर बल्कि शारीरिक सेहत पर भी गंभीर असर छोड़ रहा है। स्वस्थ रहने के मंत्र के अंतर्गत हम बात करेंगे तनाव प्रबंधन के लिए कुछ उपयोगी उपाय पर :
४.१ : नियमित व्यायाम करें (Exercise Regularly):
प्रतिदिन अपनी ताकत और उम्र के अनुसार व्यायाम करें। प्रतिदिन कम से कम ३० मिनट का व्यायाम तनाव कम करने में मददगार होता है। व्यायाम में आप दौड़ना, योग करना, तैराकी, साईकिल चलाना जैसे व्यायाम कर सकते हैं। इन व्यायामों से एंडोर्फिन का स्राव बढ़ता हैं जो खुश करने वाला एक हार्मोन है।
4.२ : मेडिटेशन और ध्यान लगाना (Meditation & Mindfulness):
१० से १५ मिनट का ध्यान रोजाना करें, गहरी साँस वाली तकनीक का प्रैक्टिस करें, अनाप-शनाप वाली विचारों पर नियंत्रण रखें। ये बातें स्वस्थ रहने के मंत्र हैं और इससे मस्तिष्क शांत रहता है।
४.३ : प्रयाप्त नींद लें (Enough Sleeping):
तनाव कम करने के लिए ७-८ घंटे की गहरी नींद सोएं। स्वस्थ रहने का मंत्र गहरी नींद, एक दवा की तरह है। गहरी नींद सोने के लिए स्क्रीन सम्बन्धी काम कम समय के लिए करें। और रिलैक्स मोड को अपनाएं।
४.४ : इनके अलावा (Other than these):
ऊपर बताये उपायों के अलावा अपने लिए एक तुरुस्त समय सारणी का पालन करें। अपने अंदर सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें। अपने अच्छे शौक हेतु समय निकालें। सामाजिक सम्बन्ध मजबूत रखें। अच्छा खाना खाएं। समय को बर्बाद न करें। और समय-समय पर एक्सपर्ट की सलाह लेते रहें।
५. पानी का पर्याप्त सेवन करें ( Drink Adequate Water) :
पानी पर्याप्त मात्रा में पियें। पानी पीने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। स्वस्थ रहने का यह भी एक मंत्र है। पानी पीने से शरीर में तरल संतुलन बना रहता है। इसके अलावा थकावट, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याओं की संभावना कम हो जाती है। शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलता है। किडनी की क्षमता बढ़ती है। त्वचा में चमक आती है। वजन घटने में मददगार है। पाचन दुरुस्त होता है। और शरीर में ऊर्जा नियंत्रित रहता है। दिमाग तेज होता है, और जोड़ों की समस्या में फायदा होता है।
५.१ : शरीर के तापमान को नियंत्रित करना :
स्वस्थ रहने के मंत्र के अंतर्गत हम बात कर रहे हैं, बात कर रहे हैं पानी के सेवन के बारे में। पानी हमारे शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। पानी पीने से पसीना आता है। और पसीना शरीर को ठंडक पहुँचता है।
५.२ : पाचन में सहायक :
पानी खाद्य पदार्थों को पचाने में सहायता करता है। और पचे हुए भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है।
५.३ : विषाक्त पदार्थों बाहर करना :
पानी पसीने और पेशाब के जरिये विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकलता है।
५.४ : स्वस्थ एवं चमकदार त्वचा :
पानी पीने से त्वचा में नमी रहती है। नमी के कारण त्वचा में चमक आती है।
५.५ : ऊर्जा को निर्बाध रखता है :
पानी पीने से शरीर में जो हाइड्रेशन रहता है उससे मांसपेशियां सक्रिय रहती है और शरीर थकान मुक्त और ऊर्जावान बना रहता है।
एक वयस्क व्यक्ति को दिन में ८ से १० गिलास पीना चाहिए। दिन भर थोड़ा- पानी पीएं। हल्का गुनगुना या सादा पानी पीएं। बाजार के कोल्ड ड्रिंक आदि न पीएं।
६. स्वच्छता (Cleanliness):
स्वच्छता व्यक्तिगत, समाज और पर्यावरण तीनों के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। स्वास्थ्य रहने का मन्त्र में हम स्वच्छता को हमेशा आगे रखते हैं। यहाँ हम स्वच्छता के कुछ पहलुओं को सामने रख कर समझेंगे।
६.१ : व्यक्तिगत स्वच्छता :
जैसे : रोजाना नहाना, हाथ-पांव को बार-बार धोना, साफ कपडे पहनना, भोजन और शौच के पहले और बाद में हाथ साबुन से धोना, नियमित ब्रश करना, बालों की सफाई और नाख़ून काटना आदि व्यक्तिगत सफाई है।
६.२ : घरेलू साफ-सफाई :
घर को रोजाना झाड़ू-पोछा लगाना, रसोई की सफाई और बाथरूम की सफाई, कचरा डब्बा रखना और उसी में कचरा डालना आदि घरेलु साफ-सफाई के अंतर्गत आता है।
६.३ : सार्वजानिक स्वच्छता : आम जगहों पर कूड़े-करकट न फेकना, सार्वजानिक उपयोग के स्थानों को गन्दा न करना, सड़कों और नालियों का व्यवस्थित उपयोग करना, आम जनता को सफाई के लिए जागरूक करना सार्वजानिक स्वच्छता के अंतर्गत आता है।
७. शराब और धूम्रपान से बचना :
समाज में आज की तारीख में सबसे बड़ी कोई बुराई है तो वो है नशापान। स्वस्थ रहने के मन्त्र में हम बात करेंगे शराब और धूम्रपान के बारे में। सामाजिक परिवेश या नासमझी की वजह से आज बच्चे, युवा हो या फिर बुजुर्ग, अनपढ़ से लेकर पढ़े-लिखे सभी इसके चपेट में हैं। यहाँ कुछ उपाय दिए जा रहे हैं जो इन बुराइयों से बचने में मददगार हो सकते हैं।
७.१ : समाज में जागरूकता लाएं :
शराब और धूम्रपान के दुष्प्रभावों और होने वाली बिमारियों की जानकारी देकर समाज में जाकरूकता फैलाएं।
७.२ : सकारात्मक जीवन शैली का अनुकरण करें :
पौष्टिक खाना खाएं। योग, ध्यान से सकारात्मक सोच का विकास करें। ताकि तनाव कम है।
७.३ : हमेशा प्रेरित रहें :
अपने जीवन में अच्छे लक्ष्य बनायें, उसको हासिल करने के लिए ईमानदारी से मेहनत करें और सफल लोगों से हमेशा प्रेरित होते रहें।
७.४ : महौल बदलें :
नकारात्मक महौल से हमेशा दूर रहें, अच्छी संगत में सकारात्मक महौल में समय बिताएं।
७.५ : जिम्मेदारी समझें : समाज के प्रति जिम्मदार बनें। खुद के, परिवार के, और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें। खुद नशे की लत से बाहर निकलें और दूसरों के लिए उदहारण बनें। पहले छोटा कदम लें फिर संगीत, खेल-कूद या रूचि किसी अन्य गतिविधि में शामिल रहें। व्यस्त रहें और धैर्य और संकल्प के साथ स्वस्थ रहने के मन्त्र का पालन करें। आपकी समझदारी और जिम्मेदारी समाज को बदल सकती है।
८. अपने स्वास्थ्य की नियमित जाँच कराएं (Get your health checked regularly):
स्वस्थ रहने के मन्त्र आपकी जानकारी में होना चाहिए। ताकि आप सजग रहें। और समय-समय अपने स्वास्थ्य की जाँच कराएं। जाँच से आपकी स्वस्थ होने की सटीक जानकारी आपके पास होगी ताकि आप आगे की किसी भी सुधार की प्लानिंग कर सकते हैं। स्वस्थ रहने के मन्त्र में हम नियमित जाँच शामिल करके बेहतर जीवन जी सकते हैं। स्वास्थ्य जाँच के कुछ प्रभावी फायदे इस प्रकार हैं।
८.१ : बीमारियों का पता लगना :
जब हम अपने स्वास्थ्य की समय-समय पर जाँच करते हैं तब हमें कुछ गंभीर बिमारियों जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्त चाप, ह्रदय सम्बन्धी समस्या और कैंसर जैसे गंभीर बीमारी की शुरुआती चरण पता चल जाता है। और अब हम सतर्क सकते हैं।
८.२ : सतर्क हो जाने का समय:
हमें बीमारियों की जानकारी तब होती है जब वह हमें जकड़ चूका होता है। नियमित स्वास्थ्य जाँच से हमें बीमारियों की जानकारी शुरुआत में ही पता चल जाता है और तब हमारे पास समय रहता है कि हम इसका जल्दी से इलाज शुरू कर दें। इससे जटिलताओं और खर्च दोनों से बचा जा सकता है।
८.३ : शारीरिक फिटनेस का आकलन :
शरीर की कार्यविधि रक्त चाप, कोलेस्ट्रॉल, शुगर लेबल, तथा अन्य शारीरिक फंक्शन का कार्यक्षमता के आधार पर नियमित आकलन करें।
८.४ : असामान्य हाव-भाव का आकलन:
असामान्य हाव-भाव को परख कर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को पहचाना जा सकता है। ऐसे गतिविधि का पता चलते ही इलाज शुरू कर दें।
स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमित जाँच में ब्लड टेस्ट, ब्लड प्रेशर की जाँच,शुगर जाँच, कोलेस्ट्रॉल जाँच, लिवर & किडनी जाँच, हार्मोन जाँच, ECG, थायरॉइड टेस्ट, BMI शामिल हैं। स्वास्थ्य की नियमित जाँच अपनी जिम्मेदारी समझें, इसे जीवन शैली का हिस्सा बनायें।
९. सकारात्मक सम्बन्ध (Positive Relationship)
स्वस्थ रहने के मन्त्र में अगली चर्चा साकारात्मक संबंधों पर है। जीवन में ख़ुशी लाने और आपसी सम्बन्ध को ममजबूत बनाने का काम साकारात्मक विचारधारा करता है। साकारात्मक सम्बन्ध बनाने से स्वास्थ्य पर साकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साकारात्मक सम्बन्ध बनाने के कुछ तरीके ये हैं।
९.१ : खुद से ही शुरुआत करें :
खुद पर भरोसा करना सीखें। और खुद ही पहल करें। आत्म प्रेरित होकर आत्म-सम्मान विकसित करें। इससे अपने पर positive thinking का भाव उत्पन होगा। स्वास्थ्य पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ेगा।
९.२ : ईमानदार बनें :
अपने आप पर ईमानदार रहें, दूसरों के प्रति स्वत: ईमानदार बनें रहेंगे। इससे कभी आत्मग्लानि नहीं होगी और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
९.३ : दूसरों की सुनें, कृतज्ञता जाहिर करें और माफ़ करना सीखें :
स्वास्थ्य रहने का मन्त्र में हम दूसरों की भी सुनना है,उनकी अच्छी बातों के लिए कृतज्ञता व्यक्त करना है। और किसी गलती पर माफ़ भी करना है। इससे पाजिटिविटी बढ़ेगी।
९.४ : साकारात्मक सोच के साथ समय बिताएं :
समय का सही उपयोग करें। इसका उपयोग रचनात्मक कार्यों को करने में करें। प्रियजनों साथ सख-दुःख साझा करें। सलाह-मशविरा कर दिक्कतों को नकारें और समाधान ढूंढें। स्वस्थ में हमेशा सुधार होगा।
१०. प्रकृति के साथ समय बिताएं (Spend time with nature):
मानव शरीर प्रकृति की अद्भूत रचना है। प्रकृति ने बनाया है इसलिए इसे प्रकृति के नियम से चलना होगा। स्वस्थ रहने के मन्त्र से हमें पता चलता है कि प्रकृति उसके उसूलों के साथ चलने वालों का हमेशा साथ देती है। प्रकृति के उसूलों पर चलने के कुछ तरीके नीचे दिए अनुसार हैं।
१०.१ : सुबह की सैर पर जाना :
सुबह जल्दी उठ कर morning walk पर जाएँ। या उम्र के अनुसार दौड़ने जाएँ। बेहतर होगा यदि घूमने के लिए खुले हरे-भरे जगह पर जाएँ जैसे पार्क, गार्डन, खुला मैदान आदि जगहों पर टहलें या दौड़ लगाएं। मकसद होना चाहिए कि हम थक जाएँ और पसीने से भींग जाएँ। इससे शरीर को ताज़ी हवा मिलेगी, शरीर ऊर्जावान बनेगा और स्फूर्ति आएगी। दिमाग शांत रहेगा।
१०.२ : वनभोज पर जाएँ :
प्रकृति साथ निकटता पाने के लिए सुन्दर प्राकृतिक पहाड़, झील, जंगल, डैम, नदी आदि जगहों पर परिवार के साथ, दोस्तों के साथ जाएँ। तरोताज़ा होकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।
१०.३ : पौधे लगाएं :
पौधे हमरे अनुपूरक हैं। हमारे अपना कुछ भी नहीं है अलावा इस शरीर के। हमें सब कुछ पेड़ पौधों से ही मिलता है। और सिर्फ हमें ही नहीं बल्कि सभी जंतुओं को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष सब कुछ पौधों से ही मिलते हैं। इसलिए बिना वजह पेड़-पौधों को न काटें वजाय इसके अधिक-अधिक पौधे लगाएं। ताकि हमें ताजी हवा और शुद्ध भोजन हमेशा मिलती रहे।
१०.४ : जानवरों से लगाव बढ़ाएं :
पौधों के साथ-साथ जीव-जंतु भी प्राकृतिक संतुलन बना कर संसार के अस्तित्व को बचाने में मनुष्य के साथी हैं। बल्कि जीव-जंतु तो प्रकृति के साथ मनुष्य से कहीं बेहतर सम्बन्ध रखते हैं। मनुष्य तो अपने स्वार्थ के लिए पेड़-पौधों के साथ-साथ इन निरीह जानवरों के अस्तित्व को ही खतरे डाल रहा है जंतु प्रेम हमेशा से मनुष्य के अस्तित्व और स्वास्थ्य के लिए जरुरी रहा है।
निष्कर्ष (Conclusion):
स्वास्थ्य ही हमारा धन है। जब तक स्वास्थ्य ठीक है, तब तक धन है। वरना धन कुछ भी नहीं है। क्योकि बिना स्वास्थ्य के हम रखे धन का भी उपभोग नहीं कर सकते। केवल डॉक्टरों,अस्पतालों, नीम-हकीमों, लुटेरों,ढोंगी बाबाओं को देने के और झूठी दिखावे में खर्च करने के। एक काम और कर सकते हैं, परोपकार के लिए दान दे सकते हैं। जो हम करते ही नहीं हैं या फिर बहुत कम करते हैं
अत: जितना दिन तक जीयें स्वास्थ्य रहकर जीने की कोशिश करें। हमने यहाँ स्वस्थ रहने के मन्त्र की जो चर्च की है उनका अनुसरण करें। खुशिओं भरा जीवन जीने का प्रयत्न करें। हमेशा स्वस्थ रहें और मस्त रहें।
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